बुधवार, 29 अक्तूबर 2014

saatkarsthal-Determines where the fly Sarpanch-जहां मक्खी तय करती है सरपंच

हिंदी फिल्मों के अभिनेता नाना पाटेकर का लोकप्रिय संवाद है- ‘‘एक मच्छर आदमी को हिजड़ा बना देता है।’’ महाराष्ट्र के पुणे जिले के घटनाक्रम को देखने के बाद इसे बदलकर यह भी कहा जा सकेगा कि ‘‘एक मक्खी आपको नेता बना सकती है।’’ जी हां, खेड तहसील के सातकरस्थल गांव ने वास्तव में अपना सरपंच चुनने का अधिकार गांव की मक्खी के हवाले कर रखा है। साढ़े पांच हजार लोगों की जनसंख्या वाले गांव ने लोकतांत्रिक दायित्वों के पालन का यह अनोखा तौर-तरीका अपनाया है। जून माह के अंतिम शनिवार को एक मक्खी ने तय किया कि गांव की एक सामान्य महिला संजीवनी थिगले को अगली उपसरपंच होंगी।

राजगुरुनगर से तीन किलोमीटर दूरी पर बसे सातकरस्थल के उपसरपंच ने पद से इस्तीफा दे दिया था। उपसरपंच पद रोटेशन प्रणाली से घूमता है और सभी इच्छुकों के नाम की पर्ची बनाई जाती है। इनमें से एक पर्ची निकालकर उपसरपंच चुनने की परंपरा सी बन गई है। गांव के भैरवनाथ मंदिर में इक्ट्ठा हुए गांववालों ने पर्ची चुनने की जिम्मेदारी मंदिर की मक्खी पर सौंप दी। तय हुआ कि जिस पर्ची पर सबसे पहले मक्खी बैठेगी, उसी को उपसरपंच बना दिया जाएगा। मक्खी सबसे पहले जिस पर्ची पर बैठी उसमें एक महिला संजीवनी का नाम निकला। सर्वसम्मति से संजीवनी को गांव का उपसरपंच घोषित कर दिया गया।
चुनाव के बाद नवनियुक्त उपसरपंच संजीवनी ने मक्खी की मदद से हुए चयन का समर्थन किया। उन्होंने बताया कि पिछले दो सालों से गांव वाले सरपंच और उपसरपंच के चुनाव में अनोखे तरीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं। गांव के बड़े-बूढ़ों ने बताया कि सरपंच के चुनाव में हिंसा, अपहरण और पैसों के लेनदेन से तंग आकर लोगों ने विवाद टालने के लिए यह नया तरीका इजाद किया है। पुणे के सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस तरीके को ‘‘अंधश्रद्धा’’ ठहराते हुए इस पर विरोध दर्ज किया है।

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