हरियाणा में हिसार के सेक्टर 13 में पब्लिक हेल्थ की जमीन पर हुक्का पंचायत बैठती है। कभी ये एक मुद्दे को सुलझाने के लिए बैठते हैं तो कभी बस गप्पे ही हांकते हैं। सुबह चार बजे पंचायत सजती है और रात 12 बजे तक चलती है। पिछले एक साल से सेक्टर की यह हुक्का पंचायत सैकड़ों विवादों निपटा चुकी है। चार पांच लोगों की यह सोच अब एक मुहिम में बदल चुकी है। पंचायत में सदस्यता का सीधा नियम है, जो पंचायत में लगभग रोज आए वहीं इसका सदस्य। बुजुर्गो के लिए तो यह पंचायत से कम नहीं। बच्चे जब काम पर निकल जाते हैं तो यहीं उनका दिन कट जाता है। होली, दीवाली भी यहीं मनती है। जिसके घर में जो व्यंजन बने यहीं लाकर त्यौहार मनाते हैं हुक्का पंचायत के सदस्य। 10 साल में ऐसा एक भी दिन नहीं आया जिस दिन हुक्का पंचायत ना बैठी हो। पंचायत में आने वाले लोग एक दूसरे के बेहद करीब हैं। दो दिन अगर कोई सदस्य ना पहुंचे तो तीसरे दिन उसकी पूछताछ शुरू हो जाती है। हंसकर सदस्य कहते हैं कि गांव जाने के लिए भी पंचायत की मंजूरी चाहिए।
हुक्का पंचायत बनीं परिवार
हुक्का पंचायत सुबह से लेकर देर रात तक चलती है। पंचायत के सदस्य हंसकर कहते हैं कि हमारी खबर तो चोरों को भी रहती है। कई बार हमने चोरी की कोशिश करने वालों को पकड़कर पुलिस के हवाले किया है। बुजुर्ग महताब सिंह और हरीचंद बताते हैं कि बच्चे अब काम धंधे वाले हो चुके हैं। सब अपनी दुनिया में मस्त हैं। कई बार सोचते हैं कि हुक्का पंचायत नहीं होती तो हमार बुढ़ापा कैसे कटता। पंचायत के सदस्य आपस में एक दूसरे का ध्यान भी रखते हैं। पब्लिक हेल्थ की खाली जमीन पर अमरूद के कई पेड़ हैं। हुृक्का पंचायत ने इन्हें लगाया। ये अब फल देने लगे हैं तो इनके फल पहले बुजुर्गों को मिलते हैं और बाद में युवाओं को। पंचायत में 20 साल के युवाओं से लेकर 90 साल तक के बुजुर्ग भी आते हैं। बुजुर्ग सुमेर सिंह कहते हैं कि-भाई जवानां म्ह बैठके तो हाम्म भी जवानां बरगे होरे सां। सेक्टर की हुक्का पंचायत आसपास झुग्गी वालों की भी मदद करती है। नल भी लगवाया्र है ताकि गायों को पानी पिला सकें। आने जाने वालों को भी मटकों का ठंडा पानी मिलता है। अमर लाल बूरा कहते हैं कि-यह शहर की पंचायत है। यहां कोई सरपंच नहीं और हर आदमी पंच है। भाईचारा ही पंचायत का मकसद है। सेक्टर में किसी के भी घर शादी हो। एक कार्ड हुक्का पंचायत का भी जरूर आता है।
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