शुक्रवार, 24 अक्तूबर 2014

Growth story-Gram Panchayat Kera-ग्राम पंचायत केरा-जहां होती है तालाबों की शादी

पंचायत की मुस्कान ग्रामीण विकास पर केन्द्रित पत्रिका है और विकास गाथा इस पत्रिका का एक नियमित स्तंभ है। इस स्तंभ के अंतर्गत हम विकास की कहानी बतायेंगे जो चाहे देश के किसी भी कोने का हो, किसी भी ग्राम पंचायत का हो अथवा व्यक्ति विशेष का हो। हो सकता है विकास गाथा में अगला नंबर आपके ग्राम पंचायत का हो, आपका हो। विकास गाथा स्तंभ के लिए तुरंत फोन करें - 07489405373

विवाह का नाम सुनते ही आंखों के सामने एक परिदृश्य घुम जाता है जिसमें विवाह का सजा धजा एक मंडप होता है। मंडप के नीचे अपने सर पर सेहरा बांधे दूल्हा, हाथों में मेंहदी रचाई आसमान से उतरी किसी परी के सदृश्य नजर आती, चटक रंग की साड़ी पहने दुल्हन, अठखेलियां करती दुल्हन की सहेलियां, शरारत करते बाराती, नम आंखों से खुशियों में शामिल होते दुल्हन के परिजन तथा एक अलग ही रौब में नजर आते दुल्हे के रिश्तेदार शामिल होते हैं। बैंड बाजा, नाच गाना ये सब नजर आता है। मगर हम आपको एक अनोखी शादी में ले कर चलते है इस अनोखी शादी में पूरा माहौल तो विवाहमय है  लेकिन दुल्हा और दुल्हन कुछ हटकर है। शादी का पूरा माहौल तो है बस दूल्हा और दुल्हन बदल गए है क्योंकि इस शादी में दुल्हन के वेश में एक तालाब को सजाया गया है वहीं दूल्हा है भगवान जी।

जी हां ये है एक तालाब की शादी जो जांजगीर-चांपा जिले के ग्राम केरा में आयोजित कराई जा रही है  यह है जांजगीर चांपा जिले के नवागढ़ विकासखण्ड अंतर्गत आने वाला ग्राम  पंचायत केरा जहां सजा है एक मंडप और यहाँ है बैंड बाजा, पंडित और नाचते गाते झूमते हुए बाराती इन सबको देख कर लगता है यहाँ किसी की शादी की जा रही है ? पर किसकी शादी है... ?  क्योंकि इस शादी में ना तो लड़का दूल्हा है और ना ही लड़की दुल्हन ?  फिर किसकी शादी यहाँ पर की जा रही है हम बताते है यह शादी खास है क्योंकि यहाँ लडके लड़की की नहीं बल्कि तालाब की शादी हो रही है। सुन कर चैकिए मत यहाँ तालाब की शादी कराई जा रही है और ये शादी अस्सी साल के बाद कराई जा रही है इस गाँव के लोगो का मानना है की तालाब की शादी कराने से सौ कन्यादान के बराबर पुण्य मिलता है और तालाब की शादी करने के बाद तालाब पवित्र हो जाता है और यहाँ हर तरह के शुभ कार्य किये जा सकते है इसलिए ये शादी पूरे विधि विधान के साथ उसी तरह कराई जाती है जिस तरह लडके लड़कियों की शादी की जाती है यह शादी तीन दिनों तक चलती है जिसमे तेल हल्दी चढाने से ले कर कन्यादान, फेरे, बारात निकालने के साथ सब कुछ वैसा ही होता है जैसे आम शादियों में होता है लेकिन इस शादी में दुल्हन होती है तालाब और दूल्हा होता है भगवान लक्ष्मी नारायण। गाँव में अस्सी साल के बाद होने वाली तालाब के एतिहासिक विवाह को लेकर ग्रामीणों में खासा उत्साह देखने को मिला इस विवाह के बारे में लोगो का कहना है की यह एक यादगार पल होता है और एक तालाब का सिर्फ एक बार ही विवाह किया जाता है और यह पुण्य का काम है जिसे कराने का मौका कभी कभी मिलता है। यह विवाह उसी तरह संपन्न किया जाता है जिस तरह एक कन्या का विवाह होता है। सभी रीति-रिवाजों के साथ ग्रामीणों ने राजापारा नाम के तालाब के विवाह संस्कार को पूर्ण कराया।

दरअसल, महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना के तहत करीब 5 लाख रूपये खर्च कर केरा गांव के ‘राजापारा तालाब’ का गहरीकरण कराया गया और जल संरक्षण की दिशा में ग्रामीणों ने अहम योगदान देते हुए, एक पुरानी परंपरा के माध्यम से घटते जल स्तर को बचाने के लिए अपनी पूरी सहभागिता निभाई। इस अनूठे विवाह के बारे में जानकर कोई भी एकबारगी विश्वास नहीं कर रहा है और यही कारण है कि केरा में संपन्न हुई इस अनूठी परंपरा, समाज के लिए एक मिसाल भी साबित हो रही हैं। ग्राम पंचायत केरा सरपंच लोकेश शुक्ला का कहना है कि आठ दशक पहले गांव के ‘बर तालाब’ में इस तरह विवाह का आयोजन किया गया था। इसके बाद यह परंपरा अभी निभाई गई है। 11 जून को कलश यात्रा के साथ विवाह संस्कार की प्रक्रिया शुरू हुई। इस दौरान कलश यात्रा में बड़ी संख्या में कन्याएं, युवती व महिलाएं समेत ग्रामीण शामिल हुए। गांव में तालाब विवाह की पुरानी परिपाटी तो है ही, साथ ही आज के दौर में घटते जल स्तर के लिहाज से भी यह इसलिए काफी महत्वपूर्ण भी है कि इस बार ‘राजापारा तालाब’ का मनरेगा के तहत गहरीकरण कराया गया है। इससे जल संवर्धन की दिशा में भी बेहतर कार्य हो रहा है। दूसरी ओर ग्रामीणों में यह भी मान्यता है कि तालाब के विवाह से गांव में जलजनित बीमारी नहीं फैलती और किसी तरह दैवीय प्रकोप का संकट नहीं होता। केरा गांव में संपन्न हुए तालाब विवाह में वर के रूप में भगवान वरूणदेव को विराजित किया गया, वहीं वधु के रूप में वरूणीदेवी को पूजा गया। ग्रामीणों ने पूरे उत्साह से इनका विवाह रचाया और दो दिन तक चले विवाह कार्यक्रम में हर वह रस्म पूरी की गई, जो किसी व्यक्ति की शादी में निभाई जाती है। तालाब विवाह में लोगों का उत्साह देखते बना। केरा में तालाब के इस अनोखे विवाह में क्षेत्र की सांसद श्रीमती कमला देवी पाटले भी शरीक हुई।

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