शुक्रवार, 24 अक्तूबर 2014

Growth story: Gram Panchayat Kotmi-विकास गाथा: ग्राम पंचायत कोटमी

पंचायत की मुस्कान ग्रामीण विकास पर केन्द्रित पत्रिका है और विकास गाथा इस पत्रिका का एक नियमित स्तंभ है। इस स्तंभ के अंतर्गत हम विकास की कहानी बतायेंगे जो चाहे देश के किसी भी कोने का हो, किसी भी ग्राम पंचायत का हो अथवा व्यक्ति विशेष का हो। हो सकता है विकास गाथा में अगला नंबर आपके ग्राम पंचायत का हो, आपका हो। विकास गाथा स्तंभ के लिए तुरंत फोन करें - 07489405373

एक गांव, एक ऐसा गांव जहां के लोगों को आज से कुछ बरस पहले हर काम करने से पहले कई कई बार सोचना पड़ता था। चाहे बात बच्चे की पढ़ाई की हो या उनकी शादी की। बरसात के दिनों में कीचड़ से सराबोर गलियां तथा गर्मी मे धूल उड़ती सड़कें, सूखा-सूखा नदी, नाला, तालाब, विकास के नाम पर एक कमरे का स्कूल तथा एक आधा अधूरा जीर्ण शीर्ण सचिवालय इस गांव की दयनीय स्थिति को बयां करते थे। बात जब बच्चों की पढ़ाई की आती तो हाईस्कूल की पढ़ाई करने के लिए इन्हंे गांव से दस किलोमीटर दूर जाना पड़ता ऐसे में मीडिल स्कूल के बाद की पढ़ाई बमुश्किल कुछ लड़के ही जारी रख पाते थे, लड़कियों के लिए मीडिल स्कूल के बाद पढ़ने की बात सोचना ही किसी सपने से कम नहीं लगता था। गांव में जब किसी की शादी की बात चलती तो घर वाले सबसे पहले ये देखते की कौन सा माह चल रहा है क्योंकि फरवरी मार्च के आते आते गांव के सभी हैण्डपंप काम करना बंद कर देते वहीं सूखते तालाबों में भी निस्तारी मुश्किल सी लगती थी। इसी बीच उपर वाले ने इस गांव में एक व्यक्ति को मसीहा बनाकर भेजा। दूसरों के लिए भले ही वो एक आम इंसान है लेकिन इस गांव के लोगों के लिए वो किसी मसीहे से कम नहीं क्योंकि जैसे ही उस मसीहे की नजर इस गांव पर पड़ी उसने गांव वालों को सभी समस्याओं से निजात दिलाने का बीड़ा उठा लिया। उस गांव के लिए मसीहा बनकर आए उस शख्स से हम और आप सभी परिचित है। जिस गांव की बात हम यहां बता रहे हैं वह गांव है रायपुर जिले के भाठापारा विकासखण्ड के अंतर्गत आने वाला गांव कोटमी तथा उनके बीच मसीहा बनकर उभरे शख्स है भाठापारा के पूर्व विधायक शिव रतन शर्मा। 

दूर हुई पानी की किल्लत

रायपुर जिले के अंतर्गत भाठापारा निपनिया मार्ग में कड़ार से उतरकर कुछ दूर पैदल चलने के बाद हम ग्राम कोटमी पंहुचे। भाठापारा से कोटमी की दूरी लगभग 10 किलोमीटर है। पानी की समस्या के  बारे में यहां के बड़े बुजुर्गो ने बताया कि कुछ वर्षाे पहले तक यहां पानी की काफी किल्लत हुआ करती थी। जरवरी-फरवरी के महीने में ही वाटर लेबल 150 फीट नीचे चला जाता था जिसकी वजह से गांव के सारे  हैंडपंप सूख जाते थे। गांव के तालाबों की भी स्थिति कुछ अच्छी नहीं रहती थी। सूखते हुए तालाबों में निस्तारी भी मुश्किल  जान पड़ती थी ऐसे में कोटमी के भाजपा कार्यकर्ता डबलू सिंह ठाकुर ने गांव में पानी की किल्लत के बारे  में भाठापारा के तात्कालीन विधायक शिव रतन शर्मा को बताया। शिव रतन शर्मा ने तत्काल पंप हाउस एवं नल जल योजना का कार्य प्रारंभ कर उसका लोकार्पण भी करा दिया। अपने स्वयं के विधायक मद से 40 हजार रूपये का अनुदान दिया। शिवरतन शर्मा ने कोटमी के लोगों से वादा किया कि वो विधायक रहे ना रहे कोटमी के संपूर्ण विकास की जवाबदारी उनकी है। यही वजह है कि छत्तीसगढ़ मेें डा. रमन सिंह के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद विधायक नहीं होने के बाद भी तन मन धन से शिव रतन शर्मा ग्राम कोटमी के विकास में भिड़े हुए है। जिस पंप हाउस एवं नल जल योजना का विधायक रहते हुए शिव रतन शर्मा ने लोकार्पण किया उससे स्पाट सोर्स के माध्यम से पूरे कोटमी के लोगों को अब भी शुद्ध पेयजल मिल रहा है वो भी निःशुल्क, क्योंकि शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने की एवज में ग्राम पंचायत कोटमी किसी से भी कोई शुल्क आज भी नहीं लेती है। इसी तरह इसी पंप हाउस के माध्यम से साल भर तक गांव के दो निस्तारी तालाबों में भी पूरे वर्ष भर पानी भरा जाता है। स्पाट सोर्स के माध्यम से सुबह 6 बजे से 10 बजे तक गांव के लोगों को पीने के लिए शुद्ध पेयजल दिया जाता है वहीं सुबह 10 बजे के बाद से शाम 4 बजे तक तथा शाम 6 बजे से पूरी रात तालाबों मेें पानी भरा जाता है।

बही विकास की गंगोत्री

आज ग्राम कोटमी में वर्मा समाज का अपना भवन है वहीं आदिवासी समाज का अपना अलग। इन भवनों में समाज के लोग शादी ब्याह से लेकर अपने सुख दूख के सभी काम निपटाते हैं। हरिजन समाज के लिए उनका अपना जैतखाम है वहीं यादव समाज के लिए गौठान एवं मंच बनाकर नंदी की स्थापना की गई है जहां अब मड़ई मेले का आयोजन किया जाता है। वहीं  अन्य गांवों में बने गौठान जहां जानवरों के लिए तरस जाते हैं वहीं यहां के गौठान का पूरा उपयोग ग्वाले करते हैं। पहले जहां गांव के लोगों को सब्जी भाजी से लेकर छोटे छोटे सामानों के लिए भाठापारा अथवा कड़ार जाना पड़ता था वहीं आजकल गांव में ही शुक्रवार को साप्ताहिक बाजार लगाया जा रहा है। साप्ताहिक बाजार में आने वाले सब्जी व्यवसायीयों अथवा व्यापारियों से किसी भी प्रकार का कोई शुल्क नहीं लिया जाता जिससे वो भी यहां अच्छी संख्या में पंहुचने लगे हैं तथा अब तो ग्राम कोटमी ही नहीं अपितु आस पास के गांव वाले भी खरीददारी के लिए कोटमी में लगने वाले साप्ताहिक बाजार का इंतजार करने लगे है। 

पहले जहां आठवीं कक्षा के बाद गांव के अधिकांश लड़के गांव में स्कूल नहीं होने की वजह से पढ़ाई छोड़ देते थे तथा लड़कियों के लिए तो हाई स्कूल की पढ़ाई किसी सपने से कम नहीं थी वहीं अब पूर्व माध्यमिक शाला का उन्नयन हाईस्कूल के रूप में किया गया है जिससे यहां के बच्चों को पढ़ने के लिए दस किलोमीटर दूर भाठापारा नहीं जाना पड़ता तथा बच्चे यहीं अपनी हाईस्कूल तक की पढ़ाई जारी रखते है। आज मीडिल स्कूल पास होने वाले अधिकांश बच्चे हाईस्कूल में कदम रख रहे हैं। कोटमी के हाईस्कूल में लड़कों से ज्यादा लड़कियों की संख्या इस स्कूल की महत्ता को सार्थक करने के  साथ साथ नारी शिक्षा के महत्व को भी प्रतिपादित करती है। गर्भवती महिलाआंें एवं बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति सजग अपने खुद के भवन में एक आंगनबाड़ी केन्द्र तो वर्तमान में अभी संचालित है ही, एक नये आंगनबाड़ी भवन की भी स्वीकृति हो गई है जिसका कार्य भी बहुत जल्द प्रारंभ हो जाएगा।

कोटमी का पंचायत भवन मुख्य स्थान में होने के साथ साथ काफी सुन्दर भी प्रतीत होता है। इसी पंचायत भवन में सोसायटी को भी शामिल किया गया है तथा पंचायत पदाधिकारियों के द्वारा मुख्यमंत्री खाद्यान सुरक्षा योजना में सतत निगरानी रखी जाती है तथा सभी पात्र पेंशन धारियों को हर महिने पेंशन भुगतान सुनिश्चित किया गया है। ग्राम कोटमी के लगभग शत प्रतिशत घरों में शौचालय भवन बनकर तैयार है। आज ग्राम कोटमी तथा आश्रित ग्राम अमलीडीह के सभी गलियों में सी.सी.रोड बना हुआ है तथा सभी मेन रोड से जुड़े हुए हैं

बबा रे, स्कूल म अतका जब्बड़ हाल........

बबा रे, स्कूल म अतका जबड़ हाल। स्कूल म अतका जबड़ हाल तो हमन बाप पुरखा म नइ देखे रहेन। एमा तो एके संग दू बरात ल दार भात खवा डारबो। पंचायत की मुस्कान की टीम जब समाचार संकलन के लिए   कोटमी गांव पंहुची तो उसी समय किसी के घर मेहमान बनकर आए एक वृद्ध ने ये शब्द ग्राम कोटमी के स्कूल में बन रहे विशाल शेड को देखकर कहे। स्कूल परिसर में ही एक मंच तथा विशाल हाल का निर्माण कार्य जारी है जिससे अब यहां के बच्चों को गर्मी के दिनों में धूप तथा बरसात के दिनों में पानी से भीगते हुए प्रार्थना करने से मुक्ति मिल जाएगी वहीं इस शेड के नीचे एक साथ बैठकर सभी बच्चे मध्यान्ह भोजन कर सकते हैं तथा भविष्य में 15 अगस्त एवं 26 जनवरी को होने वाले आयोजन यहीं आयोजित होंगे वहीं गांव के बुजुर्ग भी यह सोचकर खुश हैं कि चलो गर्मी के दिनों में गांव मे कई शादी एक साथ होने की स्थिति में उनके लिए बारातियों को ठहराने के लिए एक मंच और मिल जाएगा।

खेतों को पानी तो मछुवारों को रोजगार मिला

मानसून के भरोसे निर्भरता के चलते पहले कोटमी में हमेशा अकाल की स्थित रहती थी। बीस पच्चीस एकड़ भूमि रखने वाले किसान भी पहले दूसरे गांव के पांच एकड़ भूमि वाले किसानों से अपने आप को कमतर आंकते थे लेकिन अब गांव के पांच तालाबों का गहरीकरण कर उसमें पचरी का निर्माण किया गया है वहीं तालाब में बनाए गए टार नाली और पुलिया निर्माण के साथ साथ सुलुज गेट के माध्यम से गांव की लगभग ढाई सौ से तीन सौ एकड़ भूमि में तालाबों के माध्यम से सिंचाई की जाती है वहीं एक छोटे से नाले मेें चेक डेम का निर्माण कर लगभग सौ एकड़ कृषि भूमि में सिंचाई की जाती है साथ ही साथ गहरीकरण के बाद तालाबों में पानी रहने की वजह से स्वयं सहायता समूह मछुवा समूह को तालाबों का ठेका दे दिया गया है जिससे कि अब 11 परिवारों को रोजगार भी मिल गया है इस तरह से जहां पहले कोटमी में पीने के लिए पानी नहीं मिलते थे वहीं अब लगभग चार सौ एकड़ भूमि में सिंचाई हो रही है वहीं 11 परिवारों की आजीविका भी चल रही है इससे किसान भी खुश मछुवारे भी खुश।


एक मंच, कई काज

गांव में सभी कामों के लिए एक मंच का निर्माण किया गया है जिसे गांव वाले आपसी बोलचाल में दुर्गा मंच भी कहते हैं। इसकी उपयोगिता के बारे में डबलू सिंह ठाकुर ने बताया कि इस मंच में बहुत सारे काम किए जाते हैं मसलन यहां गांव का चैपाल एवं पंचायत बैठक का आयोजन किया जाता है। नवरात्रि में मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की जाती है तो गणेशोत्सव में भगवान गणेश की। जन्माष्टमी में कृष्ण झूला एवं जन्माष्टमी पूजन का कार्यक्रम यहां आयोजित किया जाता है। यहां नवधा रामायण भी होता है, हरि कीर्तन भी। कोटमी के ही शिवशक्ति रामलीला मंडली के द्वारा यहां दशहरा में एक सप्ताह तक रामलीला का आयोजन किया जाता है तो दीपावली में तीन दिवसीय शिवलीला का। यहां पर हनुमान जी विराजमान है तो हनुमान जयंती तो मनायी ही जाती है साथ ही हलषष्ठी देवी का सगरी भी बना हुआ है जो कि साल में एक बार खुलता है। 


कम हुई आश्रित गांव की दूरी

कोटमी से उसके आश्रित गांव अमलीडीह की दूरी पहले चार किलोमीटर थी। दो किलोमीटर का एक शार्टकट रास्ता भी था जिसमें बीस डिसमिल निजी भूमि थी जिसकी वजह से इस शार्टकट रास्ते का उपयोग नहीं हो पाता था लेकिन गांव के विकास के लिए जब पंचायत ने पहल की तो किसानों ने गांव के विकास के लिए अपनी 20 डिसमिल भूमि सड़क निर्माण के लिए भू दान में दे दी। किसानों से भू दान में लेकर कोटमी से अमलीडीह पंहुच मार्ग का निर्माण हो गया है जिससे कि अब आश्रित गांव अमलीडीह की कोटमी से दूरी दो किलोमीटर कम होकर मात्र दो किलोमीटर की रह गई है।


मिला सर्वश्रेष्ठ पंचायत का पुरस्कार

कोटमी में हुए विकास की गूंज राजधानी रायपुर मंे भी सुनी जा सकती है यही वजह है कि 1008-09 में सुभाउ कश्यप ने विकास यात्रा के दौरान कोटमी को सर्वश्रेष्ठ ग्राम पंचायत के रूप में पुरस्कृत करते हुए 25 हजार रूपये का चेक उस समय की सरपंच श्रीमती रनिया ठाकुर को सौंपा था।

आगे भी जारी रहेगा विकास

छत्तीसगढ़ में डा. रमन सिंह के मुख्यमंत्री बनने के बाद जहां गांव के सरपंच श्रीमती रनिया ठाकुर के नेतृत्व में विकास को एक नई गति मिली वहीं वर्तमान में सरपंच श्री दिलीप धु्रव तथा उपसरपंच श्री डबलू सिंह ठाकुर के नेतृत्व में विकास कार्य निरंतर जारी है। वर्तमान में हरिजन मोहल्ले में जैतखाम के पास सी.सी. रोड का निर्माण कार्य चल रहा है वहीं बाजार चबूतरा तथा स्कूल मंे शेड निर्माण कार्य चल रहा है।  कांजी हाउस के साथ साथ स्कूल में पेयजल हेतु पाईपलाईन का विस्तार जारी है वहीं एक नए आंगनबाड़ी भवन का निर्माण भी प्रक्रियाधीन है।

कोटमी के विकास पुरूष शिव रतन शर्मा

कभी विकास की दौड़ में काफी पीछे चल रहे कोटमी के विकास में अगर किसी एक शख्स का सर्वाधिक योगदान है तो वह है भाठापारा के पूर्व विधायक शिव रतन शर्मा का। गांव वालों की नजरों में कोटमी के विकास की कहानी शिव रतन शर्मा से शुरू होकर उन्हीं पर खत्म हो जाती है जिसकी वजह से कोई उन्हें मसीहा मानता है तो कोई विकास पुरूष। यही वजह है कि कोटमी के ग्रामीणो ने अपनी ओर से शिव रतन शर्मा को एक प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित भी किया है वहीं गांव वालों के द्वारा प्यार से दिए गए प्रशस्ति पत्र को शिव रतन शर्मा आज भी संभालकर रखे हुए हैं।

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