शुक्रवार, 24 अक्तूबर 2014

Growth story-Gram Panchayat soda-विकास गाथा-ग्राम पंचायत सोड़ा

पंचायत की मुस्कान ग्रामीण विकास पर केन्द्रित पत्रिका है और विकास गाथा इस पत्रिका का एक नियमित स्तंभ है। इस स्तंभ के अंतर्गत हम विकास की कहानी बतायेंगे जो चाहे देश के किसी भी कोने का हो, किसी भी ग्राम पंचायत का हो अथवा व्यक्ति विशेष का हो। हो सकता है विकास गाथा में अगला नंबर आपके ग्राम पंचायत का हो, आपका हो। विकास गाथा स्तंभ के लिए तुरंत फोन करें - 07489405373



महिला सरपंच ने बदली गांव की तकदीर

राजस्थान के सोडा गांव की युवा सरपंच छवि राजावत जब दुनिया की सबसे बड़ी सभा संयुक्त राष्ट्र संघ में बोलने के लिए खड़ी हुई तो पूरा हाल तालियों से गूंज उठा। 30 वर्षीय छवि ने संयुक्त राष्ट्र संघ 11 वें सूचना गरीबी विश्व कांफ्रेंस में 24 और 25 मार्च को हिस्सा लिया और दुनियाभर के देशों के वरिष्ठ राजनेताओं व राजदूतों के बीच गरीबी से लड़ने और विकास के तरीके पर अपने विचार व्यक्त किए। क्या आप यकीन करेंगे कि आज वह लड़की अपने गांव की सरपंच है जिसने चित्तूर आंध्रप्रदेश के ऋषिवैली स्कूल से दसवीं तक पढ़ाई करने के बाद की पढ़ाई मेयो कालेज, अजमेर से की। इसके बाद दिल्ली के लेडी श्रीराम कालेज से स्नातक और फिर पूणे से एमबीए करने के बाद पहली नौकरी टाइम्स आफ इंडिया में की ...

घोड़े पर सवार महिला सरपंच छवि राजावत
रोजाना की तरह आफिस से निकलने से पहले फोन की घंटी बजने लगी। देखा तो छवि का फोन था। उनसे मिलने के लिए जब एक सप्ताह पहले फोन किया  तो वह बाहर जाने की तैयारी में व्यस्त थी। बोली, वापस आकर मिलती हूं। दरअसल तिरूपति सिटी चेंबर की ओर से महिला सशक्तिकरण प्रयासों के लिए छवि राजावत को उगाधी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उनके घर पंहुचकर बातचीत का जो सिलसिला शुरू हुआ तो ढाई घंटे कब बीत गए पता ही नहीं चला। बातचीत के दौरान उनकी मां हर्ष चैहान भी साथ थी। गांव की चैपाल पर बैठी किसी महिला सरपंच की आपकी कल्पना से इतर है छवि राजावत। टोंक जिले में मालपुरा का एक छोटा सा गांव है सोडा। इस छोटे और अनजाने से गांव में मात्र ढाई महीने पहले सरपंच बनी छवि राजावत अन्य महिला सरपंचों से कई मायनों में वाकई अलग है। जब मुझसे मिली तो पहली नजर में मुझे कई संदेह हुए पर धीरे-धीरे बात करते हुए सारी धुंध छंट गई, अपने गांव और गांव की बुनियादी समस्याओं को लेकर जानकारी, समझ और संवेदना तीनांे के स्तर पर छवि को बहुत सजग और सक्रिय पाया। चैपाल और ग्राम सभाओं मंे चटख रंग के पारंपरिक पहनावे लहंगा, ओढ़नी पहने बैठी महिला सरपंच की जगह आप पाते हैं जींस टाप पहने आधुनिक पहनावे और फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने वाली एक माॅडर्न सरपंच। लेकिन यह पहनावा और भाषा उनके और गांववासियों के बीच संवाद में कभी बाधा नहीं बना।

वह कहती है गांव में होने के बावजूद मेरे पहनावे ने मेरे लिए मुश्किल खड़ी नहीं की क्योंकि मैं इस गावं की बेटी हूं। हां, अगर मैं यहां की बहू होती तो बात कुछ और हो सकती थी तब मुझे अपने कपड़ों पर ध्यान देना पड़ता। उच्च शिक्षित छवि ने एमबीए करने के बाद टाइम्स आफ इंडिया और एअरटेल जैसी कंपनियों में काम किया। बाद में अपने परिवार के होटल व्यवसाय में मां को मदद की। जयपुर में उनका अपना हाॅर्स राइडिंग स्कूल है जहां वे बच्चों को घुड़सवारी सिखाती है। छवि बताती है, सरपंच बनने के बाद अब इन सबके लिए समय कम ही मिल पाता है। गांव में होती हूं तो रोजाना सुबह सात बजे से गांव वालों से मुलाकात और तालाब पर खुदाई के कामों के बीच कब समय बीत जाता है, पता ही नहीं चलता।

ख्वाब छोटा सा
पानी की कमी से जूझ रहे गांववासियों को पीने का पानी मुहैया कराना उनकी पहली प्राथमिकता है और इस दिशा में वे सार्थक प्रयास करती नजर आती है। गांव के रीते पड़े तालाब को लेकर परेशान छवि का पहला प्रयास है कि कैसे भी करके मानसून से पहले उसकी खुदाई पूरी करा ली जाए ताकि बारिश का पानी सहेजा जा सके। करीब डेढ़ सौ बीघा में फैला तालाब मिट्टी भरने की वजह से समतल हो चुका है। हैरानी की बात है कि इसके लिए यह युवा सरपंच फावड़े और पराती लेकर खुद मैदान में उतर आई है। उनके हौसले गांव की महिलाओं को प्रेरित करते हैं, वे उनका साथ देने के लिए घर से निकल श्रमदान के लिए आगे आई है।

मां हर्ष कंवर बताती है, बचपन से ही जुझारू रही है छवि। हम नहीं चाहते थे कि घर में उपलब्ध संभ्रांत माहौल छवि को स्पेशल होने का एहसास कराए। हम चाहते थे कि दूसरे आम बच्चों की तरह यह भी साधारण माहौल में ही बड़ी हो। छवि बताती है, तालाब की क्षमता काफी ज्यादा है और बारिश से पहले यह काम हो जाए तो दो साल तक न सिर्फ ग्राम सोडा बल्कि आस पास के गांवों को भी पानी की कभी कमी नहीं होगी। बस इसी लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में प्रयासरत है छवि। हमें दुआ करनी चाहिए की उनका नेक ख्वाब पूरा हो जाए।

कहां से कहां तक

छवि ने चित्तूर आंध्र्र प्रदेश के ऋषिवैली स्कूल से दसवीं तक पढ़ाई करने के बाद की पढ़ाई मेयो काॅलेज अजमेर से की इसके बाद दिल्ली के लेडी श्रीराम काॅलेज से स्नातक और फिर पुणे से एमबीए करने के बाद पहली नौकरी टाइम्स आॅफ इंडिया में की। शहर के सभ्रांत और अभिजात्य माहौल से गांव तक पंहुचने का छवि का सफर काफी रोमांचक रहा है। वे कहती है, गांव से पीढि़यों का नाता होने के कारण मेरा खास जुड़ाव रहा हैं उनके परदादा और फिर दादा यहां के सरपंच रह चुके हैं। अब मैं सरपंच बन गई हूं इसलिए काम के सिलसिले में ज्यादा समय यहीं बीतता है। शहर की आदतें मुझे परेशान नहीं करती क्योंकि बचपन में चित्तूर में ऐसा माहौल मिला जहां कोई विशेष सुविधाएं नहीं थी। बर्तन मांजना, झाड़ू पोंछा, कपड़े धोना आदि तक सारे काम खुद करने होते थे। आत्मनिर्भर बनने का पहला पाठ वहीं से सीखा, आज भी यदि मुझे टाॅयलेट साफ करने को कहे तो मुझे कोई दिक्कत नहीं होगी।

गांव वालों का खास स्नेह है छवि पर, वे उन्हें प्यार से बाई सा कहकर संबोधित करते है। इस बार महिला सीट होने की वजह से गांव वाले पीछे पड़ गए। उनका विशेष आग्रह था कि मैं सरपंच बनूं। अब मेरा फर्ज बनता है कि उनकी तकलीफों को समझूं और दूर करूं। गांव में पीने के पानी के लिए बना एक तालाब और करीब दस नाडि़यां है लेकिन देखरेख के अभाव में ये दम तोड़ चुके हैं। हालात यह है कि तालाब के आसपास के मीठे पानी के कुंए भी अब सूख चुके हैं, मजबूरी में लोगो को फ्लोराइडवाला और खारा पानी पीना पड़ रहा है। सीमित संसाधन और आर्थिक समस्याएं सामने है। बारिश नजदीक है इसलिए इस समय भी सीमित में 75 बीघा भराव क्षेत्र की ही खुदाई हो जाएगी। काम करने से ही होगा, और प्रयासों में मैं कोई कमी नहीं रखना चाहती।

मंजिलें दूर है अभी

पहली बार जब वार्ड पंचों की मीटिंग हुई तो सातों महिला वार्ड पंचों की जगह उनके पति आ गए। मैंने पूछा तो कहने लगे हम हैं ना। मैं हैरान हुई फिर उन्हें समझाया कि यहां आपकी नहीं उनकी जरूरत है, जाइए उन्हें भेजिए। शुरू शुरू में मीटिंग में कई बार देर हो जाने पर उनमें से कई के पति फोन करते थे कि बाईसा मेरी लुगाई को भेजो, खाना बनाना है देर हो रही है। लेकिन अब स्थिति बदल रही है, वे ही लोग कहते सुनाई पड़ते हैं कि घर की चिंता मत करना मैं संभाल लूंगा। मात्र ढाई महीने में गांव की स्थिति और सोच में बदलाव की आहट आ रही है। कहना होगा कि युवा सरपंच सही मायनों में अपनी मंजिल की ओर कदम बढ़ाती नजर आ रही है।

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