मंगलवार, 10 फ़रवरी 2015

जुझारूपन देख मिला आठ का साथ

और बन गयी सरपंच

राजेश सिंह क्षत्री

आरक्षण के बाद झपेली में सरपंच का पद अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कर दिया गया था जबकि वहां पूरे पंचायत में अनुसूचित जाति का एक भी मतदाता नहीं था, ऐसी स्थिति में गांव के युवा जवाहर कश्यप ने शासन-प्रशासन को उसकी गलती का अहसास कराने का बीड़ा उठाया। जगदीश अपनी कोशिश में सफल भी हो गए और सरपंच का पद सामान्य महिला के लिए आरक्षित कर दिया गया। ऐसे में जब जगदीश ने सरपंच पद के लिए अपनी भाभी पुष्पांजलि कश्यप का नाम आगे बढ़ाया तो सरपंच के लिए नामांकन जमा करने वाले शेष सभी आठ प्रत्याशियों ने अपना नाम वापस ले लिया तो वहीं सभी पंचों का चयन भी निर्विरोध संपन्न हो गया।
जांजगीर-चांपा जिले के बलौदा विकासखण्ड का ग्राम पंचायत झपेली। ब्लाक मुख्यालय बलौदा से बमुश्किल दो किलोमीटर की दूरी पर बसे इस गांव में अभी भी विकास की असीम संभावनाएं हैं। गांव वालों की माने तो जावलपुर जैसे बड़े गांव का आश्रित ग्राम होने का खामियाजा इस गांव को भुगतना पड़ा क्योंकि इससे पहले के चुनाव में बड़ा गांव होने की वजह से जावलपुर का व्यक्ति ही सरपंच चुना जाता था। जाहिर सी बात है उसकी प्राथमिकता भी खुद का गांव ही होता था। ऐसे में झपेली विकास की राह में पिछड़ता चला गया। चुनाव से पहले जब पंचायतों का फिर से परिसीमन किया गया झपेली और बेलंदियाडीह को जावलपुर से अलग करते हुए झपेली के नाम से ग्राम पंचायत का गठन किया गया। झपेली के एक ग्रामीण व्यंग्यात्मक लहजे में कहते हैं कि ग्राम जावलपुर में तो पहले से ही काफी विकास हो गया था उसके बाद भी जावलपुर को सांसद ने आदर्श ग्राम बनाने के लिए गोद ले लिया। ऐसे में झपेली का क्या होता? अच्छा हुआ अबकि बार झपेली अलग से पंचायत बन गया।
कहते हैं कि खुशियां अपने साथ परेशानियां भी साथ लेकर आती है। कुछ ऐसा ही ग्राम पंचायत झपेली के साथ भी हुआ। पंचायतों के आरक्षण के बाद ग्राम पंचायत झपेली को अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कर दिया गया। ग्रामीणों के लिए यह खबर किसी सदमें से कम नहीं रहा क्योंकि उनके अनुसार उनके ग्राम झपेली और आश्रित ग्राम बेलंदियाडीह में अनुसूचित जाति वर्ग के एक भी सदस्य निवास नहीं करते हैं। लोगों को चिंता होने लगी कि क्या ग्राम पंचायत झपेली एक बार फिर से विकास से मरहूम रह जाएगा। ऐसे में गांव के युवा जवाहर कश्यप ने शासन-प्रशासन को उनकी गलती से अवगत कराने का बीड़ा उठाया। जवाहर ने जनपद पंचायत से लेकर जिला पंचायत और जिले के मुखिया से इस संबंध में गुहार लगाई तो शासन ने भी अनुसूचित जाति वर्ग के दर्जन भर मतदाताओं के नाम सामने कर दिए जिनकी वजह से झपेली को अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित किया गया था। ऐसे में उन दर्जन भर लोगों की तलाश प्रारंभ हो गई जो कि अनुसूचित जाति वर्ग के थे और जिसे गांव वाले भी नहीं जानते थे कि वह उनके गांव के निवासी है। गांव के एक-एक मतदाता के भौतिक सत्यापन करने के बाद जब इस बात की पुष्टि हो गई कि वो सभी ग्राम झपेली और बेलंदियाडीह के निवासी नहीं है तब उसके बाद फिर ग्राम जावलपुर की मतदाता सूची को खंगाला गया क्योंकि तब तक ग्राम झपेली जावलपुर का आश्रित ग्राम था। आखिरकार ग्रामीणों की मेहनत रंग लाई और इस बात का पता चल ही गया कि शासन ने अनुसूचित जाति के जिन मतदाताओं को ग्राम पंचायत झपेली का मानते हुए झपेली को अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित किया था वो मतदाता मूल रूप से ग्राम जावलपुर के वार्ड नं. 7 के निवासी हैं। शासन ने भी अपनी गलती स्वीकार की और ग्राम पंचायत झपेली का नए सिरे से आरक्षण करते हएु ठीक चुनाव से पहले इसे सामान्य महिला के लिए आरक्षित किया।
सरपंच का पद सामान्य महिला के लिए आरक्षित होने के साथ ही झपेली में इस पद के लिए आठ दावेदार सामने आ गए तो वहीं आश्रित ग्राम बेलंदियाडीह से भी एक दावेदार मैदान में उतर आया। जब सभी को यह लगने लगा कि पहली बार झपेली पंचायत के लिए होने वाले चुनाव में घमासान मचने वाला है कि इसी बीच ग्राम 9 जनवरी को झपेली के सरपंच पद के सभी आठ दावेदार पंचरेखा कश्यप, रजनी कश्यप, बृहस्पति सांडिल्य, कल्याणी कश्यप, रेखा कश्यप, सरस्वती बाई, कुसुम बाई और पुष्पांजलि कश्यप गांव के एक खेत में इकट्ठे हुए तब आम सहमति बनाने की कोशिशें शुरू हुई। लोगों को लगा कि झपेली में आरक्षण विवाद को हल करने में जवाहर कश्यप की महत्वपूर्ण भूमिका रही और वह गांव के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। जवाहर कश्यप के घर से सरपंच पद के लिए उनकी भाभी पुष्पांजलि कश्यप चुनाव मैदान में उतरी थी इसलिए सभी ने एकराय होकर पुष्पांजलि कश्यप के समर्थन में अपना नाम वापस लेने की घोषणा की। झपेली में सरपंच पद के सभी आठ दावेदारों के द्वारा एकराय बनाने के बाद सभी बेलंदियाडीह से नौवे दावेदार के रूप में चुनावी समर में उतरे अरूणा बाई कोल से मिलने और अपनी राय से अवगत कराने बेलंदियाडीह पंहुचे। गांव के विकास के लिए अरूणा बाई कोल ने भी अपना नाम वापस लेने में सहमति जताई। सरपंच पद पर आम सहमति बनने के बाद सभी की निगाहें पंच पद पर टिक गई। बेलंडियाडीह के तीन वार्डो में पहले से ही निर्विरोध निर्वाचन की स्थिति थी तो वहीं झपेली के तीन वार्ड में भी एक-एक प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरे थे वहीं चार वार्डो में सीधे मुकाबले की स्थिति थी। ऐसे में 10 जनवरी को नाम वापसी के अंतिम दिन सरपंच पद के आठ और पंच पद के चार उम्मीद्वारों ने अपना नाम वापस ले लिया और पहली बार ग्राम पचंायत का दर्जा पाए झपेली में पुष्पांजलि कश्यप सरपंच और संतोष यादव, मुन्नी बाई, बृंदा बाई, सुरेन्द्र कुमार, बच्ची बाई, लक्ष्मीन कश्यप, राजकुमार कश्यप, मंगलू धनवार, फेकन बाई, कुमारीदास पंच के पद पर निर्विरोध निर्वाचित हुए।

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