ढाबला महेश में रामद्वारा निर्माण में लगाते हैं राशि
राजेश सिंह क्षत्री
‘‘आठ लाख एक, आठ लाख दो, आठ लाख तीन ...। सरपंच पद के लिए सबसे ज्यादा आठ लाख की बोली दुलेसिंह ने लगाई है इसलिए पांच साल के लिए हम दुलेसिंह को गांव का सरपंच बनाते हैं। दुलेसिंह आठ लाख दे और सरपंच का पद अपने साथ अपने घर ले जाए।’’ क्या आप इस बात की कल्पना कर सकते हैं कि सरपंच का चुनाव इस तरह से भी हो सकता है। शायद इस बात की आपको कल्पना भी नहीं होगी लेकिन ऐसा हकीकत में होता है। वो भी आपके पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश के एक गांव में। इस गांव में सरपंच और उपसरपंच पद के लिए बकायदा बोली लगती है तथा इस बोली में गांव के सभी लोग शामिल होते हैं और जिसकी बोली सबसे ज्यादा रहती है उसे ही सरपंच का पद दे दिया जाता है। गांव के लोग बोली से प्राप्त राशि को रामद्वारा निर्माण में लगाते हैं वहीं सरपंच चुनाव लड़ने के शौकीनों को भी लगता है कि लाखों रूपए खर्च करने के बाद चुनाव में हारने से तो अच्छा है कि बोली में भाग लेकर अपनी किस्मत आजमा ली जाए। क्योंकि यहां रकम गंवाने की जोखिम जो नहीं रहती।
देश का हृदय स्थल माने जाने वाले मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले का एक गांव। गांव के चैपाल में सारे ग्रामवासी जमा है। इस गांव के लोगों के लिए आज का दिन खास है क्योंकि आज इस गांव में बोली लगनी है। यह बोली इस मायने में भी खास है कि बोली सरपंच के पद के लिए लगने वाली है। गांव के बाहर के लोगों के लिए इस चैपाल की गतिविधियां उत्सुकता का विषय हो सकती है लेकिन गांव के लोगों के लिए तो यह सामान्य सी बात है क्योंकि यहां इससे पहले भी दो बार ऐसी ही चैपाल आयोजित की जा चुकी है तथा इससे पहले भी दो बार ऐसी ही बोली के माध्यम से उनके गांव का मुखिया चुना जा चुका है। इस गांव में पहली बार 2005 में सरपंच पद के लिए बोली लगाए जाने की शुरूआत हुई थी तब गांव के बद्रीसिंह गोकुल सिंह ने सबसे ज्यादा 75 हजार रूपए की बोली लगाई थी और वो सरपंच चुने गए थे। तब इस गांव के लोगों को बहुत ज्यादा इसके बारे में पता नहीं था, इसलिए बोली की राशि कम लगी थी। लेकिन उसके पांच साल बात जब पंचायत चुनाव हुए तब एक बार फिर से इसी चैपाल पर सारे ग्रामवासी इकट्ठा हुए और बोली लगी तो यह आंकड़ा लगभग पांच गुना ज्यादा बढ़ गया और साढ़े तीन लाख रूपए में बोली समाप्त हुई। अब उस घटना को भी पांच साल हो गया है। ऐसी स्थिति में एक बार फिर से गांव में सरपंच चुनने के लिए चैपाल पर सारे लोग इक्ट्ठा हुए हैं। यहां सरपंच के साथ-साथ उपसरपंच, पंच और जनपद सदस्य के लिए भी बोली लगाई जाएगी। जनपद सदस्य के पद के लिए किसी प्रत्याशी को एक गांव से चुना जाना संभव नहीं है इसलिए उसकी बोली थोड़ी भिन्न तरह की होगी तथा उसमें सबसे ज्यादा बोली लगाने वाले व्यक्ति को गांव के सभी लोग वोट करेंगे। बाकि की बोली उनके गांव में ही संपन्न हो जाएगी तथा उसमें सबसे ज्यादा बोली लगाने वाला व्यक्ति सरपंच, उपसरपंच और वार्ड पंच चुना जाएगा।
सरपंच के लिए पांच साल पहले साढ़े तीन लाख की बोली लगी थी इसलिए सबको पता है कि इस बार बोली उससे ज्यादा में ही छूटेगी, लेकिन कितना इसका पता किसी को भी पता नहीं है। बोली प्रारंभ होती है, बोली लगाने के लिए लोग धीरे-धीरे सामने आने लगते हैं। इस बोली के माध्यम से गांव में एक अच्छी खासी आय हो जाएगी जिसका उपयोग अंतराष्ट्रीय रामसनेही संप्रदाय के रामद्वारा निर्माण के लिए दे दी जाएगी। गांव के लोगों को लगता है कि अच्छा रामद्वारा बनेगा तो गांव में बाहर से लोग भी आयेंगे तथा उनके गांव के लोगों की भी तारीफ होगी। सरपंच पद के लिए बोली धीरे-धीरे बढ़ रही है तथा आंकड़ा पांच लाख को पार कर गया है। कुछ लोग बोली लगाना छोड़ चुके हैं तो कुछ अभी भी सरपंच बनने का ख्वाब संजोए बोली लगाए जा रहे हैं। साढ़े पांच लाख, छः लाख, साढ़े छः लाख, सात लाख, साढ़े सात लाख, आठ लाख। आठ लाख एक, आठ लाख दो, आठ लाख तीन ....। सबसे ज्यादा आठ लाख की बोली गांव के दुलेसिंह पिता गोकुल सिंह ने लगाई है। अब सुवासरा तहसील के ढाबला महेश गांव में सरपंच पद के लिए आठ लाख रूपए लगाकर दूलेसिंह पिता गोकुल सिंह इस गांव के सरपंच चुने गए। चैपाल में बैठे प्रतिनिधियों ने आठ लाख रूपए में दुलेसिंह के सरपंच बनने की घोषणा की और उसके बाद दुलेसिंह को बधाई देने वालों का तांता लग गया। अभी सरपंच के लिए मध्यप्रदेश के दूसरे गांवों में नामांकन की प्रक्रिया भी शुरू नहीं हो पाई है लेकिन इस गांव के लोगों ने बकायदा अपना सरपंच चुन लिया है। अब इस गांव से एकमात्र दुलेसिंह ही अपना नामांकन जमा करेगा तथा वही इस गांव का सरपंच चुना जाएगा। ढाबला महेश का नया सरपंच दुलेसिंह।
इसी तरह से गांव में अन्य पदों के लिए भी बोलियां लगाई गई। लेकिन अन्य पदों केलिए वैसी उत्सुकता और वैसी गहमा-गहमी नहीं देखी गई तथा अन्य सभी पदों को लेकर राशि दो लाख रूपए नहीं पंहुचा। उपसरपंच के पद के लिए 21 हजार रुपए तक ही बोली पंहुच पाई और गांव के मानसिंह अमरसिंह उपसरंपच चुने गए। वहीं प्रत्यके वार्ड के लिए दो-दो हजार रूपए तय किए गए तो वहीं जनपद सदस्य के लिए 26 हजार रूपए की बोली लगी। ग्रामीणों का कहना है कि ईमानदारी से पूरी राशि ग्राम धलपट में रामद्वारा निर्माण में लगाई जा रही है। लगभग 2500 की आबादी वाले सुवासरा तहसील के ग्राम ढाबला महेश में दुलेसिंह पिता गोकुलसिंह ने सर्वाधिक 8 लाख रुपए की बोली लगाकर अगले पांच साल तक सरपंच बनने की उपलब्धि हासिल की।
बोली से तीसरी बार चुना गया सरपंच
ग्राम में यह प्रथा नई नहीं है। सबसे पहले 2005 के चुनाव में भी बोली लगी थी। तब 75 हजार रुपए में बद्रीसिंह गोकुलसिंह सरपंच बने। इसके बाद 2009 में 3.50 लाख रुपए में गीताबाई रामसिंह को सरपंची मिली। वहीं अब यह मौका दुलेसिंह या उनके परिजनों में से एक को मिलेगा। इसके साथ ही उप सरपंच की बोली 21 हजार रुपए में मानसिंह अमरसिंह के खाते में गई। वहीं प्रत्येक वार्ड के पंच भी 2-2 हजार रुपए तय कर दिए गए।
जपं सदस्य ने लगाए 26 हजार रुपए
यह ग्राम पंचायत सीतामऊ जनपद पंचायत के अंतर्गत आता है जिसका क्षेत्र क्रमांक 18 है। क्षेत्र क्रमांक 18 में इस गांव के साथ-साथ अन्य गांव भी शामिल है इसलिए एक यहीं से जनपद सदस्य चुना जाना संभव नहीं है लेकिन यहां सबसे अधिक राशि देने वाले व्यक्ति के खाते में गांव के सभी वोट जायेंगे इसलिए इस पद हेतु भी बोली लगाई जा रही है। यहां से दावेदार मांगीलाल पिता रतनलाल ने भी ग्राम में सभी मत के लिए 26 हजार रुपए देने की घोषणा की है, इस तरह से सरपंच पद के बाद सबसे अधिक 26 हजार की बोली जनपद सदस्य के लिए दिए जायेंगे। अब इस गांव के सारे वोट थोक में मांगीलाल को मिलने के बाद अन्य प्रत्याशियों के मुकाबले उसकी स्थिति ज्यादा मजबूत है। नीलामी से प्राप्त यह सारी राशि अंतरराष्ट्रीय रामस्नेही संप्रदाय के रामद्वारा निर्माण में दी जाएगी।
पहले पैसे, फिर नामांकन
गांव में बोली समाप्त हो चुकी है। अब पहले सरपंच, पंच व अन्य से बोली की राशि ली जाएगी उसके बाद ही उन्हें नामांकन भरने दिया जाएगा। यह राशि रामद्वारा की समिति को दी जाती है।
आपसी प्रेम बना रहेगा
गांव की वर्तमान सरपंच गीताबाई रामसिंह गुर्जर ने बताया कि इसके पीछे हमारी सोच यह है कि गांव में मतदान होगा तो आपसी कटुता भी बढ़ेगी। ऐसे में निर्विरोध निर्वाचन से सबमे प्रेम भी बना रहता है और चुनाव के समय शराब बंटने व अन्य दुष्प्रवृतियों से भी बच जाते हैं। सारा रुपया रामद्वारा निर्माण में लगाते हैं। वहीं भविष्य के लिए गांव के सरपंच चुने जाने वाले दुलेसिंह गोकुलसिंह गुर्जर कहते हैं कि रामद्वारा अच्छा बनेगा तो बाहर के लोग भी आएंगे। हमारे ही गांव का नाम होगा।